अगहन गुरुवार या लक्ष्मी पूजा
अगहन गुरुवार या लक्ष्मी पूजा किया है (Aghan guruwar ya Laxmi pooja kya hai):
अगहन का महीना लोगो के लिए खास होता है।
अगहन माह को पवित्र माह माना जाता है।
खेती करने वाले लोग इस माह में अपने फसल की कटाई और मिसायी करते हैं।
मां लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अगहन महीना में ही किया जाता हैं।
इस महीने में गांव गांव में लक्ष्मी माता की मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है,ताकि लक्ष्मी मां की कृपा बनी रहे । किसान धन धान्य की वृद्धि के साथ सुख समृद्धि की कामना करते हैं।
घर की महिलाएं अगहन माह में प्रत्येक गुरुवार को अल्पना (झुटी)बना कर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते है।
अल्पना बनाने के लिए घर की महिलाएं चावल को भिगो कर चिकना पिसाई करते है फिर उससे सुंदर सुंदर अल्पना बनाते हैं।
इस प्रकार से बनाया गया अल्पना बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।
अल्पना को घर के आंगन अपने पूजा रूम के अलावा अपने घर के मुख्य द्वार और पश्च द्वार में भी बनाया जाता है । जो की अगहन के प्रत्येक बुधवार शाम को बनाया जाता है और उसके सुबह गुरुवार के दिन पूजा अर्चना करते हैं।
अगहन गुरुवार या लक्ष्मी पूजा कैसे मनाया जाता है aghan guruwar ya Laxmi pooja kaise manaya jata hai:
इस दिन मां लक्ष्मी के चरण का छाप अल्पना से बनाया जाता है। इन पांव के निशान को देख ऐसा प्रतीत होता है मानो लक्ष्मी मां सच में हमारे घर प्रवेश कर रही है।
इस पूजा में दूबी पत्ता बद्री(बेर )के पत्ते
संतालु या अमरूद का फल
और खीर ज्यादातर चढ़ाया जाता है। यह पूजा छत्तीसगढ़ में ओडिशा क्षेत्र से लगे हिस्सों में बहुत ही श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। यह लक्ष्मी पूजा का पर्व ओडिसा क्षेत्र का बहुत ही मुख्य पर्व है। इस पूजा में माता लक्ष्मी को प्रत्येक चीज़ दस दस करके चढ़ाया जाता है। जैसे दस फूल दस फल दस दूब इस प्रकार से जो भी चढ़ाया जाता है वो दस की संख्या में रहता है।
माता लक्ष्मी को खिचड़ी का भी भोग सर्वाधिक लगाया जाता है। इस खिचड़ी में दस प्रकार के अनाज एवं सब्जी को मिलाकर बनाया जाता है।
इस लक्ष्मी पूजन में महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके सुन्दर वस्त्र धारण करती है।
माता लक्ष्मी को इस दिन आवले के पत्ते से स्नान कराते हैं। फिर उसे चौक पर एक थाल में चावल रख कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बैठाया जाता है। कलश की स्थापना कर गौरी गणेश की भी स्थापना की जाती है। कलश को आम के पत्तो से सजा कर उसमे धान या चावल का दोना रख कर दीप प्रज्वलित किया जाता है।
इस दिन लोग धन का खर्च बहुत कम करते है । कुछ लोग तो खर्च ही नहीं करते और ना ही कोई लेन देन करते हैं।
लोगो का ऐसा मानना है की इस दिन धन का खर्च नही करने से घर में धन संग्रह में वृद्धि होती है।
तो प्रेम से बोलो लक्ष्मी माता की जय
मां लक्ष्मी की कृपा हम सभी पर बना रहे । जय लक्ष्मी नारायण 🙏
अगहन गुरुवार या लक्ष्मी पूजा कब से कब तक है aghan guruwar ya Laxmi pooja kab se kab tak hai:
तो अगर 2024 की बात करें तो यह नवंबर 2024 में शुरू होने वाली है जिसका पहला गुरुवार अगहन महीना के 21 नवंबर को पहली गुरुवार होंगी और आखरी गुरुवार 19 दिसंबर को आखरी अगहन गुरुवार मनाया जायेगा |